थायरायड की बीमारियों में कारगर है होम्योपैथिक दवाएं : डॉ शुभम वर्मा

 




बाराबंकी। थायरायड गर्दन के निचले हिस्से में स्थित एक तितली आकार की ग्रंथि है यह टी 3 और टी 4 नामक हार्मोन स्रावित करती है इसमें कई प्रकार के रोग हो जाते है परन्तु हाइपोथायरायडिज्म वा हाइपरथायरायडिज्म की समस्या सामान्यत मिलती है। होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ शुभम वर्मा बताते है कि हाइपोथायरायडिज्म में टी 3 वा टी 4 हॉर्मोन की कमी होती है वा हाइपरथायरायडिज्म में टी 3 वा टी 4 हॉर्मोन अधिक मात्रा में बनने लगते है जिससे शरीर में विभिन्न लक्षण उत्पन्न होते है जैसे हाइपोथायरायडिज्म में ठंड अधिक लगना कमजोरी महसूस होना, वजन का बढना तथा हाइपरथायरायडिज्म में गर्मी अधिक लगना, पसीना अधिक निकलना, वजन कम होना, भूख अधिक लगना आदि है। विभिन्न उम्र वा लिंग के आधार पर और भी विभिन्न लक्षण दिखाई पड़ते है। डॉ शुभम वर्मा  के अनुसार महिलाओं और बुजुर्गों में हाइपोथायरायडिज्म का खतरा अधिक होता है। एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में इन बीमारियों का स्थायी उपचार उपलब्ध नहीं है जबकि होम्योपैथिक दवाओं के द्वारा कुछ दिनों तक उपचार लेने के पश्चात दवाएं नहीं लेनी पड़ती कुछ मुख्य दवाएं जैसे थाइरोइडिनम, आयोडियम, कैल्केरिया आयोडेटा आदि दवाएं मुख्यतः कारगर है परंतु यह सब दवाएं बिना चिकित्सक के परामर्श के ना ले।

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