जल संरक्षण पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता


           रामसजीवन वर्मा, JRF इतिहास

             मोबाइल :  7310471626


(DM अम्बेडकर नगर के पहल के सन्दर्भ में ।)



जलचक्रीय जीवन पृथ्वी को अन्य ग्रहों में विशेष बनाता है। 'जलमेय जीवनम'। 'जल है तो कल है'। बगैर जल पृथ्वी पर कोई जीवन सम्भव नहीं है। यह जानकर भी आज का आधुनिक

मानव विकास के लिए पृथ्वी से अन्तरिक्ष तक की दौड़ करके अंधाधुन्ध औद्योगिकरण एवं

नगरीकरण में अत्याधिक जलदोहन की प्रवृत्ति में है। बढ़ती जनसंख्या के साथ जल उपयोग की

अधिक मांग आज एक गंभीर चुनौती है। हलांकि विश्व स्तर की रामसर संधि से लेकर भारत की

राष्ट्रीय जल नीति 1987 व 2019 में गठित जलशक्ति मंत्रालय की सलाह पर जल संरक्षण

सम्बन्धी केन्द्र व राज्य के अनेक मिशन एवं अभियान सार्थक, जगरूकता व प्रयास जारी रखे हैं।

फिर भी जब तक गांवो का देश, भारत के जन समुदाय, निचली प्रशासनिक इकाईयों के साथ जल

संरक्षण पर संकल्पित नहीं होते है तब तक किसी लक्ष्य पर पहुंचना सम्भव नहीं है। इसी परिप्रेक्ष्य

में 29 सितम्बर 1995 में गठित अवध प्रान्त के अयोध्या मण्डल के जनपद अम्बेडकरनगर में जल

संरक्षण की सम्भावना पर बात की जाए तो दो प्रमुख नदियों सरयू (घाघरा), तमसा के साथ अन्य भूमिगत नदियों

का जाल यहां है, इसके अलावा कई बड़ी झीलें जैसै दरवन, मसड़ा, पुन्थर, अलवेला के अतिरिक्त

10 हेक्टेयर के ऊपर सैकडों व 01 हेक्टेयर से 10 हेक्टेयर के मध्य करीब 500 से अधिक की संख्या

में जलाशय, ताल, तलैया अपने पूर्ण अस्तित्व में आने की बांट जोह रहे हैं, साथ ही जनपद की

पांचो तहसील, अकबरपुर, टाण्डा, जलालपुर, आलापुर व भीटी के 1757 ग्रामों में  नहरों, बाहों

व नाले आपसी मिलन के साथ  वर्षों की स्थायी प्यास बुझाना चाहते हैं। ऐसे में स्वतः संज्ञान लेकर अम्बेडकरनगर के

वर्तमान जिलाधिकारी श्री अविनाश सिंह  जी द्वारा की जा रही, जल संरक्षण तथा जल आधारित व्यापार वाणिज्य की

दिशा में सार्थक पहल उन्हें बरबस् जलपुरूष की संज्ञा देने को तैयार है। अगर जनपद की

स्वयंसेवी संस्थाएं एंव जनता का उनको भरपूर सहयोग मिले तो सम्भवतः जनपदवासी जल संरक्षण

की दिशा में जागरूक होकर हड़प्पा सभ्यता के "धौलावीरा" की छवि प्राप्त कर सकेंगे। जलआधारित व्यापार, वाणिज्य

की बात करें तो जलसंरक्षण ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए किसी 'अलादीन के चिराग' से कम नहीं

है। गांव में ही जल आधारित लघु, मध्यम एवं बडें उद्योगों की कृषि व सेवा क्षेत्र पर आधारित

श्रृंखला तैयार हो जायेगी। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह आत्मनिर्भर हो सकती है। जल

आधारित खेती में मुख्यत जनपदवासी मत्स्य पालन, सिंघाड़ा, मखाना, तिन्नी चावल, कमल,

कमलगट्टा, भसीड़, करेमुआ, सीप, घोंघा, मोती, बत्तख आदि के साथ जल कृषि सह उत्पाद में

मुर्गीपालन कर सकते है, इसके अतिरिक्त अधिक जल लेने वाले औषधि पौधों मेंथा, एलोवरा के

साथ फल-फूल, साग-सब्जी की अपार सम्भावना है। जल आधारित सेवा के क्षेत्र में देखा जाए

तो पर्यटन, एक्वेरियम, मरीन डाइव, वाटर पार्क, नौका बिहार, पक्षी विहार, म्यूजिकल फाउन्टेन,

फनराइडस, पिकनिक स्पाट के साथ ही अन्तर्जनपदीय जलपरिवहन, माल ढुलाई व यात्री आवागमन

की सस्ती व प्रदूषण रहित व्यवस्था हो सकती है। इसके अतिरिक्त पेयजल आपूर्ति, सिंचाई,

जलविद्युत परियोजना, सोलर पावर प्लान्ट की अपार सम्भावनाएं है। साथ ही जल संलग्न भूमियों

का उपयोग शीत भण्डार गृह आदि के रूप में आर्थिक गतिविधि में सहायक सिद्ध होगें

अगर जनपदवासी सब्र के साथ जल संरक्षण हेतु कमर कस लें तो एक विशाल आर्थिक ढाँचा 

खड़ा हो सकता है। इसके लिए जागरूकता एक बड़ा पहलू है। यहां की अधिकांश शिक्षित 

जनसंख्या को सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में चलाई जा रही योजनाओं व सब्सिडी,ऋण

के बारें में विस्तृत प्रचार-प्रसार व जानकारी अनेक माध्यमों से कराया जाए तथा सम्बन्धित विभाग की टीमें

पंचायत वार जल संरक्षण के लाभों से सम्बन्धित योजनाओं के लाभ की सहजता व आवश्यक

प्रपत्र की जानकारी प्रदान करें। कृषि, सिंचाई, मत्स्य व अन्य विभाग द्वारा उन्नत जल आधारित

व्यवसाय की जानकारी होर्डिंग व बोर्ड के माध्यम से करायें तथा जनपद के सम्मानित नेतागण,

मीडियाकर्मी, शिक्षित युवा वर्ग इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के नवाचार माध्यम (मानव श्रृखंला, नुक्कड़, गोष्ठी आदि ) को अपनाएं।

जल संरक्षण को कर्तव्य बनाओ।

तब गांव को आत्मनिर्भर पाओ।



Comments

Popular posts from this blog

लिटिल फ्लावर स्कूल में धूम धाम से मनाया गया स्वतंत्रता दिवस

अंबेडकरनगर के आलापुर तहसील अंतर्गत ग्राम टंडवा शुक्ल में मिला घायल अवस्था में हिमालयन गिद्ध

देवभूमि पब्लिक स्कूल गोपालपुर में बाल मेला का भव्य आयोजन