साहित्यकार कल्पनाथ सिंह की पुण्य स्मृति पर होगा भव्य आयोजन
प्रख्यात साहित्यकार कल्पनाथ सिंह की पुण्य स्मृति पर होगा भव्य आयोजन
13 अगस्त 2023 को आयोजित होगा श्रद्धांजलि कार्यक्रम, सादर नमन
बाराबंकी(सरला यादव)। खुले पंख, अब उड़ चला हूं अकेला, कहीं तो गगन का किनारा मिलेगा। डगर पा चुका, चल पड़ा हूं अकेला, कहीं तो क्षितिज का सहारा मिलेगा। .....जैसे अनेकों कालजई गीत लिखने वाले और 70 एवं 80 के दशक में गीतों के राजकुमार की संज्ञा से विभूषित प्रख्यात साहित्यकार ठाकुर कल्पनाथ सिंह अपनी समृद्ध साहित्यिक विरासत को छोड़कर क्षितिज के उस पार पहुंच प्रतिवर्ष पवित्र श्रावण मास के द्वितीय पक्ष में अपनी इस समृद्ध विरासत की निर्मल धारा से हिंदी साहित्य के बागबां बन हिंदी के इस बाग को उस पार से भी पल्लवित करते रहते हैं। उनकी समृद्ध साहित्यिक विरासत को संजोने, संवारने का बीड़ा, श्री कल्पनाथ सिंह सेवा न्यास, के संरक्षण में उनके यशस्वी पुत्र सर्वेश कुमार सिंह उनके शिष्यों और नगर के प्रमुख प्रबुद्ध साहित्यकार वर्ग द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है, इस क्रम में प्रतिवर्ष उनकी पावन पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरुप कार्यक्रम, सादर नमन, का आयोजन कल्पनाथ सिंह सेवा - न्यास द्वारा किया जाता है। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी 13 अगस्त 2023 दिन रविवार को वृहद् रूप में कार्यक्रम का आयोजन पटेल चौराहा स्थित क्राउन पैलेस के सभागार में किया जाएगा। श्री कल्पनाथ सिंह सेवा - न्यास के अध्यक्ष सर्वेश कुमार सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए अवगत कराया है कि देवा मार्ग स्थित न्यास के प्रधान कार्यालय पर कोर कमेटी की एक बैठक आहूत की गई जिसमें दीर्घकालिक उत्कृष्ट हिंदी साहित्य सेवा हेतु, कल्पनाथ सिंह स्मृति - सम्मान, से अलंकृत होने वाले साहित्यकार का चयन बैठक में सर्वसम्मति से किया गया यह पुरस्कार 13 अगस्त दिन रविवार को, सादर - नमन, कार्यक्रम में न्यास - अध्यक्ष, कार्यक्रम - अध्यक्ष, मुख्य अतिथि एवं मंचासीन विशिष्ट अतिथियों द्वारा प्रदान किया जाएगा। जिसमें स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र, पुष्प गुच्छ, पत्र पुष्प (सम्मानित धनराशि ) द्वारा भव्य कार्यक्रम में हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं पर उत्कृष्ट योगदान हेतु दिया जाएगा। ज्ञात हो कि बाराबंकी को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले देश के प्रख्यात साहित्यकार कल्पनाथ सिंह ने साहित्य के लगभग सभी प्रमुख विधाओं पर धारा प्रवाह लगभग छ: दशक तक अनवरत अपनी लेखनी चलाई है उनको उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान सहित देश के अनेकों साहित्यिक संस्थाओं से ढेरों सम्मान तथा पुरस्कार मिल चुके हैं वह बालमन के मनोभावों को बड़ी कुशलता से कलमबद्ध करते थे, उनके गीत 70 और 80 के दशक के साहित्य सम्मेलनों में धूम मचा देते थे, अतीत की यादों में जाते हुए वरिष्ठ समाजसेवी, साहित्यकार, शिक्षक अजय सिंह गुरु जी कहते हैं कि जब कल्पनाथ सिंह जी अपने गीत सुनाते थे तो गाते हुए इनके गीतों से सभाएं गुंजायमान हो जाती थी लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। उनकी वाणी का ओज और मुख मंडल का तेज युवा मन को आंदोलित कर देता था। श्रद्धांजलि कार्यक्रम, सादर नमन, में श्री कल्पनाथ सिंह जी की रचना धर्मिता उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व साहित्यिक योगदान पर विद्वान साहित्यकारों द्वारा परिचर्चा भी की जाएगी जिसमें जनपद ही नहीं प्रदेश के कई जनपदों से वरिष्ठ साहित्यकारों की सहभागिता रहेगी।
Comments