कॉन्वेंट स्कूलों को मात दे रहा यूपीएस दहिला का सरकारी स्कूल
बाराबंकी (सरला यादव)। दृढ़ संकल्प हो तो दुविधा की बेड़िया भी टूट जाती हैं। महान साहित्यकार रामबृक्ष बेनीपुरी की इन पंक्तियों के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने चरितार्थ कर दिखाया।बाराबंकी के विकास खण्ड त्रिवेदीगंज में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय दहिला आज कॉन्वेंट स्कूलों को मात दे रहा है। यहां पर सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत हेमन्त कुमार के नवाचारों और अभिनव प्रयोग से आज यह विद्यालय चर्चा का विषय बन गया है। विद्यालय में दो सौ साठ छात्र नामांकित है। जिसमें लगभग नब्बे प्रतिशत छात्र उपस्थित रहते है। शिक्षा और अनुशासन के मामले में भी अव्वल है। आसपास में दूर दूर तक कई निजी स्कूल है, फिर भी क्योंकि यहां के सभी ग्रामीण इसी स्कूल में अपने बच्चों को आठवीं तक की शिक्षा लेने के लिए भेजते हैं। यह सब संभव हो सका जज्बे और जुनून के पक्के शिक्षक हेमन्त कुमार के प्रयासों से। लगभग सात साल पहले से स्कूल में योगदान करने के लिए उन्होंने इसकी सूरत बदलने का संकल्प लिया और आज यह विद्यालय जिले का माडल सरकारी स्कूल बनकर उभरा है। विद्यालय के छात्र व शिक्षक विद्यालय की सफाई स्वयं मिलकर करते हैं और इसके लिए रोजाना 15 मिनट का सभी लोग योगदान देते हैं।विद्यालय के छात्र व छात्राएं बेहद ही अनुशासन में और ड्रेस कोड का अनुपालन करते है। विद्यालय में वृक्षारोपण कार्य मन को मोह लेता है।शरीर और मस्तिष्क के विकास के लिए रोजाना खेल होते है। श्री हेमन्त से बात करने पर उन्होंने बताया कि सरकार की मंशानुरूप निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के कारण अगर अच्छी पढ़ाई मिलेगी तो गरीब घर के बच्चे जिन्हें पढ़ाई में रुचि है और आगे कुछ बड़ा करना चाहते हैं, वो सरकारी सुविधाओं का फायदा उठाकर अपनी मंजिल प्राप्त कर सकते हैं तथा राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं।
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