सूफी संत के वालिद दादा मियां की याद में लगने वाले 10 दिवसीय देवा मेले की हुई शुरुआत
सूफी संत के वालिद दादा मियां की याद में लगने वाले 10 दिवसीय देवा मेले की हुई शुरुआत
बाराबंकी(सरला यादव)। जो रब है, वही राम है। का संदेश देने वाले सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के वालिद दादा मियां की याद में शुरू होने वाले 10 दिवसीय देवा मेले की औपचारिक शुरुआत सोमवार से हो गई है। इस दस दिवसीय देवा मेले में सूफ़ी संत के लाखों अनुयायी देश विदेश से अपनी हाजिरी लगाने के लिये आते है। और सूफ़ी संत का पैगाम जो रब है, वही राम है। का संदेश लेकर जाते है। सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के इस संदेश को दुनिया भर में लाखों करोड़ों लोगों ने आत्मसात किया और सूफी संत के मुरीद बन गए। सूफी संत की तमाम विस्तृत शिक्षाओं को दो शब्दों में समेटकर रब व राम को एकाकार करने की पहल भले ही इस संत ने अपनी तरह अकेले शुरुआत की, पर आज लाखों करोड़ों की तादात में लोग इसे दिलों में बसाये उनके आस्ताने पर खिंचकर चले आते हैं। हाजी वारिस अली शाह ने अपने अनुयायियों को जो संदेश दिया उसने समयानुसार लोगों के विश्वास को और मजबूत किया। यही कारण है कि आज भी उनकी दरगाह पर बहुत सी ऐसी रस्में देखने को मिलती है जो इस्लाम में कहीं और नहीं मिलती। मजार पर हाजिरी, नजराना, मन्नत मांगना, चिराग जलाना, प्रसाद विरतण और परिक्रमा यह सब यहाँ पर देखा जा सकता है। जो गंगा जमुनी संस्कृति का नायाब उदाहरण है। देवा मेला हिंदुओं और मुस्लिमों के धार्मिक और सांस्कृतिक बंधन का रूप धारण कर चुका है। संत और सदविचार हर इंसान के दिलों को छूता है चाहे वह राम का अनुयायी हो या रहमान का। शायद इसीलिये सूफी संत के वालिद दादा मियां की याद में लगने वाले 10 दिवसीय देवा मेले में हर वर्ष लाखों करोड़ों लोग पूजा और इबादत में एकाकार नजर आते हैं।
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