छितनपुरा ईदगाह के सहन में सामाजिक सुधार पर आयोजित जनसभा में आल इण्डिया पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी का खताब




*छितनपुरा ईदगाह के सहन में सामाजिक सुधार पर आयोजित जनसभा में आल इण्डिया पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी का खताब*


*अल्लाह के आखरी नबी हज़रत मोहम्मद स0 ने मक्का से मदीना की हिजरत के तुरन्त बाद अपनी जेब से भूमि खरीद कर पहली बार किया था वक्फ-मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी*


बीती रात चितनपुरा स्थित सहन में ‘इस्लाहे मोआशेरा’ अर्थात् समाज सुधार जनसभा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी उपस्थित रहे। समाज सुधार के प्रति प्रवचनों पर आधारित यह जनसभा विशिष्ट रूप से धार्मिक शिक्षा एवं मानवीय मापदण्डों को लोगों के जीवन में उतारने के लिये आयोजित की गयी थी। 


मुफ्ती अनवर अली ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज के वर्तमान हालात में हमें अपने अतीत को याद करने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को किसी भी हाल में निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं क्यों कि ईश्वर ने कहा है कि हम तुम्हंे हर प्रकार से आजमायेंगे और तुम्हें परीक्षा से गुजरना होगा। ऐसी स्थिति में धैर्य का दामन हाथ से नहीं छूटना चाहिये। उनका कहना था कि अंतिम संदेष्टा ह0 मोहम्मद स0 के समय में भी कई ऐसी स्थितियां आयीं जब मुसलमानों को काफी परेशानी का सामना था परन्तु उन्होंने हालात से समझौता न करते हुये उसे अपने अनुरूप बना लिया। 


इसी प्रकार मौलाना अब्दुल हमीद फैजी ने अपने संक्षिप्त सम्बोधन में मुसलमानों को अल्लाह से जुड़ने और अपने धार्मिक एवं सामाजिक दायित्वों के निर्वाह के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा दी। 


आल इण्डिया पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जन सभा के मुख्य अतिथि मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने सम्बोधन को आरम्भ करते हुये कहा कि आप सोच रहे होंगे कि यह अजीब बात है कि एक ऐसा वक्त जब वक्फ बिल की तलवार मुसलमानों पर लटक रही है तथा ऐसा समय जब यूनिफार्म सिविल कोड का नारा मुल्क में गूँज रहा है इसके बावजूद शीर्षक ‘वक्फ’ से सम्बन्धित न हो कर आयोजित इस जनसभा का शीर्षक ‘‘सामाजिक सुधार पर जनसभा’’ के नाम पर आधारित क्यों है? और इस शीर्षक का वर्तमान हालात से क्या सम्बन्ध है? 

उन्होंने बताया कि सामाजिक सुधार से इन हालात का बड़ा गहरा सम्बन्ध है क्योंकि इसके माध्यम से सार्थक प्रेरणा देकर समाज के सुधार को सुनिचिश्त किया जा सकता है। अल्लाह तआला आखेरत (प्रलय) में जो सजा देते हैं इसके इलावा दुनियां की सजा के रूप में यह है कि शरीअत के जिन निर्देशों पर आज आपके लिये अमल करना सम्भव है और आप उन पर अमल नहीं कर रहे हैं तो अल्लाह आपको इस नेमत से वंचित कर देता है।


। मौलाना ने इसके इलावा तीन तलाक, मसुलमानों के दाम्पत्य जीवन, पतियों का उनकी पत्नियों से कुशल व्यवहार, बच्चों की दीक्षा, सामाजिक समन्वय एवं मानवीय आधारों की बारीकियों आदि पर विस्तार से चर्चा की। 


मौलाना ने कहा कि अपना जीवन जिस प्रकार व्यतीत कराना चाहिये था उससे हट कर जिस प्रकार इस्लामी दायित्वों की अन्देखी करते हुये मुसलमानों ने स्वयं को जिस डगर पर डाल लिया है वह इस्लामी दृष्टिाकोण से अनुचित है जिसके फलस्वरूप ईश्वर ने हमें झटका देकर यह संकेत दिया है कि जब तुम हमारे आदेश के अनुरूप कार्य नहीं करोगे तो हम तुम्हारा जीना मुश्किल कर देंगे। उन्होंने कहा कि आप देख लीजिये कि हमारे बुजुर्गाें के प्रयास से 2013 के वक्फ नियम में जो प्रावधान उपलब्ध थे उनमें वक्फ बाई यूजर एक अत्यन्त अहम नियम शामिल है अर्थात् जिन सम्पत्तियों को एक बार वक्फ कर दिया गया है चाहे उसका कागज उपलब्ध हो अथवा न हो उन्हें सदैव वक्फ की जायदाद का ही दर्जा प्राप्त है। परन्तु आज सरकार उसी दर्जे को खत्म करना चाहती है। मौलाना ने बताया कि अपने दायित्वों को भली भांति निर्वाह न करने के कारण ईश्वर की पकड़ ने हमें आ लिया है। जरा सोचिये कि कुछ मुसलमानों ने स्वयं वक्फ की जायदार को अपने कब्जे में लेकर उससे अनपा स्वार्थ सम्बद्ध कर लिया, जिसके कारण दूसरों की नियत खराब हो गयी है। 


मौलाना सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि जबकि वक्फ का अर्थ ही ईश्वर के लिये अपनी सम्पत्तियों को समर्पित कर देना है। अर्थात् वक्फ शुदा सम्पत्तियों का प्रयोग जनहित, समाज हित तथा धार्मिक कार्याें के संचालन एवं उनकी व्यवस्था के संदर्भ में किया जाना है। परन्तु मुसलमानों ने इसका मुनासिब उपयोग नहीं किया इसका अर्थ यह हुआ कि हमने अपने इस्लामी आदर्शाें की उपेक्षा की है। 


ईश्वर के बनाये हुये कानून के विरूद्ध कृत्य करने से इस जीवन में भी झटके मिलते रहते हैं जो हमारे लिये संकेत होते हैं कि हमें अल्लाह की ओर लौट जाना चाहिये। जब हम समाज के हितों की परवाह करना छोड़ देते हैं तो समाज में नाना प्रकार की बुराइयां पनपने लगती हैं जिससे समाज का हर तबका जूझता है जो मात्र मुसलमानों के लिये ही नहीं बल्कि आम इंसानों के लिये भी ठीक नहीं होता। उन्होंने कहा कि आज इस बात की नितांत आवश्यकता है कि हम अपने समाज के नव सृजन पर ध्यान दें ताकि सामाजिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये वक्फ जायदादों का जो किरदार है वह वास्तव में उसी रूप में स्थापित रहे जिसके लिये इनका सृजन किया गया था। मौलाना ने बताया कि वक्फ की जायदाद को मुसलमानों ने भी हानि पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति शरीअत पर अमल करने से मुंह मोड़ लेता है तो ईश्वर की ओर से उससे वह अवसर भी छीन लिये जाते हैं।


मौलाना रहमानी ने बताया कि वक्फ आज का नियम नहीं है बल्कि पहली बार ईश्वर के अन्तिम दूत हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने मक्का से मदीना की हिजरत के तुरन्त बाद अपनी जेब से भूमि खरीद कर वक्फ किया था जिस पर मस्जिद-ए-नबवी की बुनियाद रखी गयी थी जो आज भी अपने उसी रूप में मदीना के अन्दर मौजूद है। मोहम्मद साहब ने इस मस्जिद को मल्टी पर्पज के रूप में प्रयोग करते हुये नमाज, सुफ्फा (मदरसा) एवं मुसाफिर खाना के रूप में प्रयोग किया। जहां पर शिक्षा के साथ साथ बाहर से आने वालों के रहने एवं खाने का प्रबन्ध भी किया जाता रहा। इसी के साथ मोहम्मद स0 के सहाबा ने भी बहुत सी सम्पत्तियों को वक्फ किया है जो अपने उसी रूप में सामाजिक हितों पर काम करती रही हैं। 


मौलाना ने बताया कि वक्फ एक ऐसी इबादत है जिसका आरम्भ स्वयं मोहम्मद स0 ने किया है जिससे पूरी उम्मत को लाभ पहुंचाने का उद्देश्य सम्बद्ध है।


अन्त में मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपनी दुआ में भारत की उन्नति, समृद्धि एवं सामाजिक सौहार्द के लिये ईश्वर से प्रार्थना की।  


सामाजिक सुधार पर आधारित जनसभा में आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला के सदस्य मौलाना जमाल अहमद नदवी, पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल, पूर्व सांसद सालिम अंसारी, हाफिज कारी सआद एखलाक, मोलवी वासिफ जमाल, हाफिज मो0 अजमल, जमाल नदवी, मोलवी अब्दुल हमीद फैजी, मोलवी सरफराज फैजी आदि ओलमा इकराम के इलावा बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी एवं क्षेत्रीय लोग उपस्थित रहे।


पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल ने सामाजिक सुधार पर जनसभा में सम्मिलित होने वाले सभी लोगांे का शुक्रिया अदा करते हुये विशेष रूप से प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभाध्यक्ष की अनुमति से सभा के समापन का एलान किया। इससे पूर्व अरशद जमाल ने मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी के बारे में बताते हुये कहा कि मौलाना मात्र आल इण्डिया पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही नहीं अपितु यह फ़ेकह एकेडमी के जनरल सेक्रेट्री एवं अन्य कई सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं के संरक्षक भी हैं। सभा की अध्यक्षता मदरसा दारूल ओलूम के मुफ्ती अनवर अली ने की तथा संचालन मौलाना एहसानुर्रहमान ने किया।



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